सिरपॉफागा एक्ससर्प्टालिस (Scirpophaga excerptalis),
जिसे आमतौर पर व्हाइट टॉप बोरर या धान की तने का कीट कहा जाता है, एक प्रकार का कीट है जो विशेष रूप से धान और गन्ने की फसल को नुकसान पहुँचाता है। यह कीट धान और गन्ने की फसल के लिए एक प्रमुख खतरा माना जाता है। इस कीट के कारण धान और गन्ने की उपज में भारी कमी हो सकती है।
आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से:
व्हाइट टॉप बोरर (Scirpophaga excerptalis) के बारे में जानकारी:
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कीट की पहचान:
- वयस्क पतंगा: व्हाइट टॉप बोरर के वयस्क पतंगे हल्के सफेद रंग के होते हैं। इनके पंखों पर काले धब्बे होते हैं। मादा पतंग अंडे देती है, जो तने या पत्तियों पर होते हैं।
- लार्वा (कोकन): लार्वा (कीट के बाल अवस्था) हल्के हरे या सफेद रंग के होते हैं, और ये तने के अंदर घुसकर खाते हैं। इस अवस्था में लार्वा अत्यधिक हानिकारक होते हैं क्योंकि वे तने को खोखला कर देते हैं।
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जीवविज्ञान:
- अंडे: मादा व्हाइट टॉप बोरर पतंग धान के तने या पत्तियों और गन्ने पत्तियों की के नीचे अंडे देती है। अंडे से लार्वा निकलते हैं।
- लार्वा: अंडे से निकलने के बाद लार्वा तने के अंदर प्रवेश करते हैं और वहां से अपना आहार लेते हैं। लार्वा तने को खोखला कर देते हैं, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है।
- प्युपा: लार्वा कुछ समय बाद प्युपा में बदल जाते हैं। इस दौरान, कीट का जीवन चक्र पूरा होने की प्रक्रिया जारी रहती है।
- वयस्क पतंग: प्युपा से निकलकर वयस्क पतंग निकलते हैं और वे फिर से अंडे देते हैं।
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नुकसान:
- व्हाइट टॉप बोरर के लार्वा तने के अंदर घुसकर उसे खोखला कर देते हैं, जिससे पौधों का स्वास्थ्य खराब हो जाता है। इसके कारण धान की फसल में गिरावट आ सकती है।
- जब तने में लार्वा की संख्या बढ़ जाती है, तो यह पौधों को कमजोर बना देता है और पौधों का गिरना और सूखना शुरू हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप धान और गन्ने की पैदावार में कमी आती है।
- यह कीट विशेष रूप से धान के और गन्ने बुवाई के शुरुआती चरणों में सबसे अधिक हानिकारक होता है, क्योंकि उस समय पौधे अपेक्षाकृत कमजोर होते हैं।
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नियंत्रण उपाय:
- रासायनिक नियंत्रण:
.व्हाइट टॉप बोरर के नियंत्रण के लिए कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इसको सावधानी से करना चाहिए क्योंकि रासायनिक कीटनाशक पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकते हैं। - जैविक नियंत्रण:
.प्राकृतिक शत्रु जैसे कि परजीवी ततैया और कीट भक्षक कीड़ों का उपयोग भी इस कीट के नियंत्रण के लिए किया जा सकता है। - फसल चक्र और खेत की सफाई:
.व्हाइट टॉप बोरर की उपस्थिति और प्रकोप को कम करने के लिए फसल चक्र का पालन करना जरूरी है। धान की फसल के साथ दूसरी फसलें उगाना, जैसे मक्का, मटर, या सोया आदि, कीटों को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
.इससे कीट का जीवन चक्र बाधित होता है और उनका प्रजनन कम हो जाता है।
.पैटर्न और चिपकने वाले जाल: फसलों के आसपास कीटों को पकड़ने के लिए चिपकने वाले जाल का उपयोग भी किया जा सकता है।
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प्रभावित पौधों की सफाई:
- खेतों में अप्रभावित पौधों को सही समय पर हटाना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होता है कि प्रभावित पौधे कीटों को फैलाने का कारण नहीं बनते।
- खेत की सफाई और प्रभावित हिस्सों को निकालने से भी कीटों का नियंत्रण किया जा सकता है।
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चिपकने वाले जाल (Pheromone Traps):
- फेरोमोन ट्रैप्स का इस्तेमाल व्हाइट टॉप बोरर के वयस्क पतंगों को आकर्षित करने के लिए किया जा सकता है। ये ट्रैप्स मादा और नर पतंगों को पकड़ने में मदद करते हैं, जिससे उनकी प्रजनन क्षमता कम होती है।
- फेरोमोन ट्रैप्स को खेतों में जगह-जगह लगाया जा सकता है।
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जल स्तर का नियंत्र
- धान की खेती में पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन ज्यादा पानी रखने से कुछ कीटों को पनपने का मौका मिल सकता है। खेतों में पानी का स्तर नियंत्रित रखना चाहिए।
- खेतों में पानी की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि जब पानी अधिक रहता है, तो कीटों को नियंत्रण में रखना मुश्किल हो सकता है।
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विरोधी किस्मों का चयन
- कुछ किस्मों में व्हाइट टॉप बोरर के प्रति प्रतिरोधक क्षमता होती है। किसानों को ऐसे धान के बीजों का चयन करना चाहिए जो इस कीट के प्रकोप से अधिक प्रभावित न हों।
- वैज्ञानिकों द्वारा विकसित कीट प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग इस कीट के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है।
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सही समय पर निगरानी (Monitoring):
- खेतों की नियमित निगरानी करें ताकि व्हाइट टॉप बोरर के प्रकोप का पता समय रहते चल सके।
- किसानों को अपने खेतों में कीटों के संकेतों की पहचान करनी चाहिए, जैसे कि तने के अंदर छेद या तने का टूटना। इस प्रकार की पहचान कीटों की सक्रियता के बारे में संकेत देती है, जिससे उन्हें नियंत्रण किया जा सकता है।
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वितरण:
- व्हाइट टॉप बोरर कीट मुख्य रूप से भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में पाया जाता है, जहाँ धान और गन्ने की खेती प्रमुख है।
- यह कीट धान और गन्ने की नमी वाली भूमि में अधिक पनपता है और गर्मी के मौसम में सक्रिय होता है।
निष्कर्ष:
व्हाइट टॉप बोरर (Scirpophaga excerptalis) धान और गन्ने की खेती के लिए एक बड़ा खतरा है। इसके प्रकोप से बचने के लिए किसानों को इस कीट के जीवन चक्र को समझकर समय-समय पर उचित नियंत्रण उपायों का पालन करना चाहिए। जैविक और रासायनिक नियंत्रण के मिश्रित उपयोग से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।