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युवा और कृषि: अगली पीढ़ी को खेती से कैसे जोड़ें

युवा और कृषि: अगली पीढ़ी को खेती से कैसे जोड़ें
लेखक: सागर चौधरी

जब भी मैं खेत में किसी बुज़ुर्ग किसान को देखता हूँ, उनके अनुभव की चमक तो दिखती है, लेकिन एक सवाल भी मन में आता है — इसके बाद कौन?”

भारत जैसे कृषि प्रधान देश में, खेती को चलाने वाला वर्ग धीरे-धीरे बूढ़ा होता जा रहा है। आज के युवाओं के लिए खेती “कूल” नहीं रह गई है। वे शहरों की ओर भाग रहे हैं, डिग्रियां ले रहे हैं, लेकिन खेत और किसान पीछे छूट रहे हैं

पर सच्चाई यह है कि खेती की सबसे ज्यादा ज़रूरत आज युवाओं की है। नए आइडियाज़, नई सोच और नई तकनीक के बिना खेती टिकाऊ नहीं रह पाएगी।

तो सवाल है — कैसे हम युवाओं को खेती की ओर आकर्षित करें?


🌱 1. खेती को एक बिज़नेस की तरह पेश करें, बोझ की तरह नहीं

आज का युवा जोखिम लेता है, स्टार्टअप करता है, नए मॉडल अपनाता है। अगर हम खेती को नौकरी से बेहतर व्यवसाय के रूप में दिखाएं — जहां मुनाफा, स्केलेबिलिटी और तकनीक हो — तो वह रुचि ज़रूर दिखाएगा।

उदाहरण:

  • हाइड्रोपोनिक्स फार्म्स

  • ऑर्गेनिक उत्पाद ब्रांड

  • एग्री-टेक ऐप्स

  • एफपीओ (Farmer Producer Organizations)


📱 2. तकनीक को खेती से जोड़ें

ड्रोन, सैटेलाइट इमेजिंग, मिट्टी जांच ऐप, ऑटोमेटेड सिंचाई — ये सब कुछ आज के युवाओं के पसंदीदा टूल हैं।

अगर खेती के साथ डिजिटल और स्मार्ट टूल्स की बात करें, तो युवा खुद-ब-खुद खिंचा चला आएगा।

क्या करें:

  • स्कूलों और कॉलेजों में “स्मार्ट एग्रीकल्चर वर्कशॉप्स”

  • AI और IoT से जुड़ी खेती की ट्रेनिंग

  • डिजिटल खेतों का लाइव डेमो


👨‍🏫 3. कृषि शिक्षा को ज़मीन से जोड़ें, सिर्फ किताबों तक सीमित रखें

आज भी कई एग्रीकल्चर कॉलेजों में पढ़ाई पुरानी किताबों और थ्योरी तक सीमित है। ज़रूरत है कि वहां फील्ड वर्क, लाइव फार्मिंग प्रोजेक्ट्स, मार्केट एक्सपोजर को जोड़ा जाए।

प्रैक्टिकल सिखाइए, प्रेरणा अपने-आप आएगी।


🤝 4. युवाओं को किसान नहीं, ‘कृषि उद्यमी’ बनाएं

किसान” शब्द के साथ आज भी संघर्ष और गरीबी की छवि जुड़ी हुई है। अगर हम उन्हें AgriPreneur” कहें, और उसी नजरिए से ट्रेन करें, तो मानसिक बदलाव होगा।

कैसे?:

  • युवाओं के लिए विशेष कृषि स्टार्टअप फंड

  • ग्रामीण इनक्यूबेशन सेंटर्स

  • सरकारी योजना जैसे RKVY-RAFTAAR और Agri-Clinics


🌍 5. खेती को एक मिशन बनाएं, सिर्फ पेशा नहीं

आज का युवा अगर किसी चीज के लिए लड़ता है तो वह है क्लाइमेट, सस्टेनेबिलिटी और सोशल जस्टिस।
पुनरुत्पादक खेती, जैविक खेती, जल संरक्षण जैसे विषयों से उसे जोड़िए। खेती को एक पर्यावरणीय मिशन और सामाजिक बदलाव की ताकत की तरह पेश कीजिए।


📝 निष्कर्ष

भारत का भविष्य खेतों में ही बसता है। लेकिन अगर खेत खाली होते गए और युवा उनसे कटते गए, तो हम एक गंभीर संकट की ओर बढ़ रहे हैं।

अब वक्त है खेती को फिर से “आकर्षक, सम्मानजनक और लाभकारी” बनाने का।

युवाओं को खेती में लाने के लिए हमें उन्हें केवल खेती नहीं, भविष्य बनाने का एक मंच देना होगा।


आपका क्या विचार है? क्या आप भी खेती को अगली पीढ़ी के लिए ‘करियर’ नहीं, एक ‘कॉलिंग’ की तरह देखते हैं?

अगर आप कोई ट्रेनिंग, योजना या फार्म विज़िट से शुरुआत करना चाहते हैं — मुझे बताइए, मैं मदद के लिए तैयार हूं।

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